सीतापुर के रहने वाले सिपाही रमेश चंद्र लखनऊ के पुरनिया चौराहे पर रात की ड्यूटी पर तैनात थे. इसी बीच इन्हें लघुशंका महसूस होने पर यह पास के सुलभ शौचालय की ओर जाने लगे. कुछ ही दूर अकेले चले थे कि कुत्तों के झुंड ने इन्हें घेर लिया और कुछ कुत्ते तो काटने को दौड़े. रमेश चंद्र के पास लाठी भी इनका पूरा बचाव नहीं कर पाई. एक कुत्ते ने उनके पैर पर अपने जबड़े का निशान बना दिया.
घायल रमेश चंद्र को एंबुलेंस से लोहिया अस्पताल लाया गया जहां अगले दिन डाक्टरों ने एंटी रेबीज वैक्सीन लगाकर इनका इलाज किया.
लखनऊ के सिविल अस्पताल के एंटी रैबीज सेल के आंकड़े बताते हैं कि किस तरह से कुत्तों के काटने की घटनाएं हो रही हैं. यहां की इमरजेंसी में रोज 10 से 12 लोग कुत्ते के काटने का शिकार होकर पहुंच रहे हैं. ये वे लोग हैं जो या तो विभिन्न वजहों से रात के वक्त सड़कों पर निकल रहे हैं.
पशु डाक्टर डा. राजीव बंसल बताते हैँ “असल में लॉकडाउन के माहौल में आदमी ही नहीं बल्कि पशुओं के जीवन में भी बहुत बदलाव हुआ है. कुत्ते इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. शहर के होटल, रेस्टोरेंट, स्ट्रीट फूड सेंटर सब बंद हैं. घरों से भी खाना बाहर नहीं फेंका जा रहा है. ऐसे में सड़कों पर टहलने वाले आवारा कुत्तों के खाने का संकट पैदा हो गया है. नतीजा सड़कों, गलियों में घूमने वाले कुत्ते भूख से परेशान हो रहे हैं. इससे उनका स्वभाव खूंखार हो गया है.”
आवारा और छुट्टा घूमने वाले जानवरों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए यूपी के मुख्य सचिव आर. के. तिवारी ने सभी जिलाधिकारियों और नगर आयुक्तों को पत्र लिखा है लेकिन इसके लिए अभी कोई ठोस कार्ययोजना स्थानीय स्तर पर नहीं बन पाई है.
लखनऊ के नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी बताते हैं “पशुओ के लिए कार्य करने वाले एनजीओ के जरिए आवारा कुत्तों के लिए भोजन का प्रबंध कराने की कार्यवाही चल रही है. जल्द ही इस समस्या ने निजात मिल जाएगी.”
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